बेमौसम बरसात से फसलें नष्ट होने से किसानों की हालत खस्ता

बेमौसम बरसात से फसलें नष्ट होने से किसानों की हालत खस्ता

रिपोर्ट, एनआईटी ब्यूरो

फर्रुखाबाद।  मौसम के लगातार बिगड़ते हालातों को देखकर गरीब मजदूर किसानों ने प्राकृतिक आपदाओं को लेकर अफसोस जताते हुए कहा मार्च महीने में अगस्त महीने जैसी बारिश कहीं प्रकृति का किसानों को बर्बाद करने का इरादा तो नहीं लगातार बेमौसम बारिश किसानों के लिए बबाल ऐ जान बनी पिछले कई दिनों से तूफानी हवाओं के बीच बे मौसम बरसात गरीब मजदूर किसान सभी के लिए मुसीबतों का कारण बनी हुई है आए दिन बेमौसम रिमझिम बरसात अब हर किसी के लिए मुसीबतों का कारण बनती जा रही है चाहे किसान हो या मजदूर इस वक्त किसानों के खेतों में गेहूं की फसल तैयार होकर पकने की ओर बढ़ रही है सरसों की खेती खेती करने वाले किसानों को भी प्राकृतिक अपदाओ के चलते मायूस देखा गया किसानों ने बताया वर्तमान में खेतों में तैयार सरसों कटाई के दौर से गुजर रही है के अलावा तमाम किसानो द्वारा काटकर खेत में डाल दिया है ऐसे हालातों में लगातार बेमौसम बारिश किसानों के लिए मुसीबत बनी हुई है यही कारण है आजकल किसानों के चेहरों पर भी मायूसिया देखी जा रही हैं किसानों के अनुसार ऐसी तमाम फसलें हैं जिन्हें सिंचाई की आवश्यकता तो थी लेकिन इतनी भी नहीं अधिक बेमौसम बरसात बर्बादी का कारण बन जाए प्राकर्तिक अपदाओ के चलते बुरे दौर से गुजर रहे किसानों में राजेश कुमार सियाराम सीताराम संजीव कुमार प्रवेश कुमार आलोक कुमार नवनीत कुमार सहित किसानों ने अफसोस जताते हुए कहा जब सिंचाई की जरूरत थी उस वक्त बारिश तो नहीं हुई अब जरूरत नहीं तो बे मौसम बरसात उनकी बर्बादी का कारण बनी हुई है बे मौसम बरसात के के कहर को देख किसानों ने अफसोस जताते हुए कहा अगर वे मौसम बारिश का कहर यूं ही रहा तो किसानों की बर्बादी निश्चित है फसलों के नाम पर हजारों लाखों रुपए जो खर्च किए हैं इस उम्मीद पर भविष्य में उनके भी विकास के सारे सपने पूरे होंगे मगर प्राकृतिक अपदाये गरीब मजदूर किसानों का बेड़ा गर्क कर रही है जबकि किसानों का मानना है ग्रामीण क्षेत्रों का अधिकांश किसान केवल कृषि कार्य पर ही निर्भर है यदि फसल उत्पादन नहीं होता तो उसको दो वक्त की रोटी रोटी चलाना दुश्वार हो जाता कहावत है अमीरी के सपने देखना हर किसी के लिए एक सपने जैसा है लेकिन किसानों के लिए खुशहाली के सपने देखना वास्तविक एक सपने के ही समान है हाड़ तोड़ मेहनत हजारों लाखों रुपए की कीमत से फसलों का उत्पादन करने बाला किसान शायद प्रकृति से यही उम्मीद लगाता है आने बाला समय अच्छा होगा उसके भी खुशहाली के सपने पूरे होंगे लेकिन कहीं ना कहीं प्राकृतिक आपदाएं गरीबों को आगे बड़ने की बजाए पीछे ढकेल रही है आजकल ऐसे ही हालात बने हुए हैं मार्च के महीने में अगस्त जैसे हालात आसमान पर छाए काले काले बादल तूफानी हवाओं के बीच बेमौसम बरसात कर गरीब किसानों को बर्बादी का संकेत दे रहे हैं किसानों को आशंकाए है मौसम बरसात गरीब किसानों को बरबाद न कर दे कही अतिवृष्टि हुई किसान बरबाद हो जायेंगे अप्राकृतिक आपदाओ से किसानों में दहशत का माहौल देखा जा रहा है

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