
ओबीसी आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
योगी सरकार पहले ही से ओबीसी को आरक्षण देने का पक्ष में
रिपोर्ट, न्यूज़ इण्डिया टुडे ब्यूरो
दिल्ली। यूपी निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने जल्द चुनाव कराने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने के साथ ही नया नोटिफिकेशन जारी करने को कहा है। मामले पर 3 सप्ताह बाद सुनवाई होगी हाई कोर्ट ने बिना ओबीसी आरक्षण की तत्काल चुनाव कराने का आदेश दिया है। इसी के खिलाफ यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर किया था इस बीच सरकार ने ओबीसी के ट्रिपल टेस्ट के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग भी बना दिया था।
आज के फैसले से सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को अपना काम 3 महीने में पूरा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि 31 मार्च तक आयोग को रिपोर्ट देनी है हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में न्यायमूर्ति देव नंद कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने कुल 93 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के निकाय चुनाव के लिए जारी 5 दिसंबर 2022 में डिफरेंट नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया था।
इस पर नोटिफिकेशन के जरिए सरकार ने एससी एसटी ओबीसी के लिए आरक्षण प्रस्ताव किया है। न्यायालय ने कहा था कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्देशित ट्रिपल टेस्ट के बगैर ओबीसी आरक्षण नहीं लागू किया जाएगा कोर्ट ने एससी एसटी वर्ग को छोड़कर बाकी सभी सीटों के सामान्य सीटों पर तौर पर अधिसूचित करने का भी आदेश दिया था। हालांकि न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि महिला आरक्षण सर्वाधिक प्रावधानों के अनुसार दिए गए न्यायालय के सरकार को निकाय चुनाव की अधिसूचना तत्काल जारी कराने का आदेश दिया है ।यह भी टिप्पणी की गई है कि यह आदेश है कि वर्तमान नेताओं के कार्यकाल समाप्त होने तक चुनाव करा लिया जाए।
हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि कि कृष्णमूर्ति वर्क विकास किशन राव गवली मामलों में दिए ट्रिपल टेस्ट फार्मूले को अपनाए बगैर ओबीसी आरक्षण नहीं दिया जा सकता संविधान के अनुच्छेद 243 यू के तहत नेताओं के कार्यकाल समाप्त होने के पूर्व चुनाव करा लेने चाहिए जबकि ट्रिपल टेस्ट कराने में काफी वक्त लग सकता है ।
लिहाजा निकाय निकायों के लोकतांत्रिक स्वरूप को मजबूत रखने के लिए वे संवैधानिक प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए यह आवश्यक है कि निकाय चुनाव जल्द करा लिए जाएं हाईकोर्ट के फैसले के बाद योगी सरकार ने साफ किया कि बिना ओबीसी आरक्षण चुनाव नहीं होगा ।
फैसले के अगले ही दिन ओबीसी आरक्षण देने के लिए आयोग का गठन कर दिया है । आयोग में अध्यक्ष के साथ चार सदस्यों को नामित किया गया है सेवानिवृत्त न्यायाधीश को अध्यक्ष बनाया गया है आयोग में दो पूर्व आईएएस और दो न्याय क्षेत्र से जुड़े लोगों को सदस्य बनाया गया है ।
आयोग में सेवानिवृत्त न्यायाधीश राम अवतार सिंह को अध्यक्ष बनाया गया है सेवानिवृत्त अशोक सिंह वर्मा पूर्व आईएएस महेंद्र कुमार पूर्व विधि परामर्शी संतोष कुमार विश्वकर्मा और पूर्वी पराशिवा अपर जिला जज बृजेश कुमार सोनी को सदस्य नामित किया गया है। इसके साथ ही सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी ।
शेष अदालत के निर्णय के तहत निकाय चुनाव में जाने के लिए एक आयोग का गठन किया जाता है जो स्थानीय निकायों में पिछड़ेपन की प्रकृति व प्रभाव की जांच करता है तत्पश्चात ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को प्रस्तावित किया जाता है। व आयोग को यह भी सुनिश्चित करना होता है कि एससी एसटी ओबीसी आरक्षण 50% से अधिक ना होने पाए