
शिथिलता एवं लापरवाही परिलक्षित होना पायी जाती है, तो उसका प्रतिकूल संज्ञान लेते हुए कठोर दण्डात्मक कार्यवाही अमल में लायी जाएगी- जिलाधिकारी उमेश मिश्रा
शमीम अहमद मुख्य संपादक
बिजनौर। जिलाधिकारी उमेश मिश्रा ने मा मण्डलायुक्त, मुरादाबाद के पत्र के हवाले से जानकारी देते हुए बताया कि आयुक्त स्तर से जाँच के लिए प्रेषित किए जाने वाले शिकायती प्रार्थना पत्र एवं पत्रालेख, जिनमें समयबद्धता का विशेष ध्यान रखते हुए जाँच आख्या उपलब्ध कराएं जाने के निर्देश दिए जाते हैं। उक्त संबंध में प्राय: यह संज्ञान में आ रहा है कि कतिपय जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा जो जांच आख्याएं / प्रत्युत्तर प्रस्तुत किए जा रहे हैं, उनमें समयबद्धता का ध्यान न रखते हुए लगभग 01 माह या उससे भी अधिक समय व्यतीत होने के उपरान्त भी जाँच आख्याएं उपलब्ध नहीं करायी जा रही है। जिस कारण शिकायतों का समय से निस्तारण न हो पाने की वजह से शिकायतकर्ताओं द्वारा बार-बार आयुक्त के समक्ष प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किए जाते हैं, जिससे एक ओर जहाँ जन-सामान्य में शासन / प्रशासन की छवि धूमिल होती है, वहीं दूसरी ओर उच्चाधिकारियों के आदेशों की भी अवहेलना होती है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि इस प्रकार की असहज स्थिति अत्यन्त ही खेदजनक एवं निन्दनीय है। उन्होंने उक्त स्थिति के दृष्टिगत सभी जिला स्तरीय अधिकारियों को निर्देशित है कि आयुक्त स्तर से जाँच कर आवश्यक कार्यवाही किए जाने के लिए प्रेषित किये जाने वाले प्रार्थना पत्रों एवं पत्रालेख जिनमें निर्धारित समयावधि का उल्लेख किया गया होता है, में समयबद्धता का विशेष ध्यान रखते हुए जॉच आख्या / प्रत्युत्तर प्रेषित करना सुनिश्चित करें। उन्होंने मा आयुक्त के निर्देशों के क्रम में सचेत करते हुए कहा कि उपरोक्त निर्देशों के बावजूद किसी जिला स्तरीय अधिकारी के स्तर से शिथिलता एवं लापरवाही परिलक्षित होना पायी जाती है, तो उसका प्रतिकूल संज्ञान लेते हुए कठोर दण्डात्मक कार्यवाही अमल में लायी जाएगी, जिसके लिए वह स्वयं उत्तरदायी होंगे। उन्होंने निर्देश दिए कि मा आयुक्त के स्तर से प्राप्त होने वाले पत्र/प्रार्थनापत्रों पर समयबद्धता का ध्यान रखते हुए प्राथमिकता के आधार पर जाँच आख्या तत्काल प्रेषित करना सुनिश्चित करें।