*42 की उम्र मे बिजनौर निवासी विकास बने जज, उत्तीर्ण की पीसीएस जे की परीक्षा*

42 की उम्र मे बिजनौर निवासी विकास बने जज, उत्तीर्ण की पीसीएस जे की परीक्षा

*वर्तमान में दिल्ली विकास प्राधिकरण में विधि अधिकारी हैं विकास*

*लक्ष्य अगर बड़े हो तो उम्र मायने नहीं रखती 42 की उम्र में जज बनकर विकास ने एक नया उदाहरण प्रस्तुत किया है*

बिजनौर। यूपी पीसीएस-जे परीक्षा पास कर बिजनौर के विकास कुमार जज बने। जज बनने पर परिवार में खुशी का माहौल है। विकास कुमार ने परीक्षा में 289वीं रैंक पाई है। वर्तमान में विकास दिल्ली विकास प्राधिकरण में विधि अधिकारी के पद पर तैनात हैं।

बिजनौर की पंचवटी कॉलोनी निवासी विकास कुमार ने बताया कि उन्होंने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई जीआईसी बिजनौर से की है। इसके बाद साल 1999 में उनकी नौकरी भारतीय वायु सेना में लग गई थी। भारतीय वायुसेना की प्रशासनिक शाखा में करीब 17 वर्ष सर्विस दी।
उनका चयन ऑडिटर, जूनियर विधि अधिकारी, विधि अधिकारी, उत्तर प्रदेश में सहायक अभियोजन अधिकारी, सिविल जज के पद भी हो चुका है। वह साल 2018 से यूपी पीसीएस-जे परीक्षा की तैयारी कर रहे थे।

पहली बार पांच नंबर कम आने से परीक्षा पास नहीं कर पाए थे। 42 वर्ष की उम्र में जज बने विकास कुमार ने मिसाल कायम की है। उनके पिता स्वर्गीय तुलाराम सिंह आशु लिपिक के पद पर तैनात थे। उनकी माता राजवाला जजी में आदेशवाहिका पद पर कार्यरत हैं। वहीं बहन प्रीति सिंह भारतीय खाद्य निगम मुरादाबाद में इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं।

विकास ने जज बनने का श्रेय अपने भाई सहित माता और पत्नी यामिनी और अन्य परिजनों को दिया है। उनका कहना है कि परिवार की जिम्मेदारियों के बीच उन्होंने तैयारी कर परीक्षा पास की।

*बेटे के जज बनने पर भावुक हुई मां*

विकास की माता राजबाला देवी विकास के जज बनने पर जहां खुश है वही विकास के पिता को याद कर भावुक हो जाती है विकास की माता कहती है विकास ने जज बनकर आज अपने पिता का सपना पूरा किया है अगर आज वो दुनिया में होते तो बहुत खुश होते।

*बहन बोली भाई पर गर्व*
विकास की बहन प्रीति विकास पर गर्व करते हुए अपने भैया के जज बनने पर फूली नहीं समाती और कहती है के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में भैया ने दिन रात मेहनत की है, सुबह में भैया एयरफोर्स की ड्यूटी करते थे और शाम में कॉलेज जाकर एलएलबी की पढ़ाई करते थे प्रीति बताती है के पापा के जाने के बाद भैया ने अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों का बहुत अच्छे से निर्वहन किया है।

तीन भाई बहनों में सबसे बड़े विकास स्कूल टाइम को याद करते हुए कहते है की पापा ने मेरा एडमिशन सेंट मैरी स्कूल में कराया था पापा के जाने के बाद 666प विद्या निकेतन स्कूल में पढ़ा कक्षा 6 से 12 तक जीजीआईसी बिजनौर से की, बीएससी करते करते चयन एयरफोर्स में हो गया वहां 17 वर्ष सेवाए दी

पारिवारिक जिम्मेदारियों को पूरा कराने का श्रेय विकास अपनी पत्नी यामिनी और छोटे भाई प्रदीप को देते है विकास कहते है ये सब प्रदीप के बिना संभव नहीं था, मंडल लेवल पर वॉलीवॉल खिलाड़ी रह चुके विकास को किताबे पढ़ना व तैराकी पसंद है भारतीय नेवी से इन्होंने सी डाइवर की ट्रेनिंग भी ली है।

विकास कहते है जज बनने पर ईमानदारी से और तय समय में न्याय करना मेरी प्राथमिकता होगी।
युवाओं को दिए संदेश में विकास ने कहा के दृढ़ संकल्प के साथ तैयारी करो और तब तक प्रयास करते रहो जब तक के लक्ष्य ना मिल जाए और इसके लिए कोई बहाना मत बनाओ और सपनो को सच साबित करो।

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