
कुमायूं में धार्मिक पर्यटन को बढाने हेतु सरकार शरद कालीन धार्मिक यात्रा घोषित करे – बड़ोला
रिपोर्ट, न्यूज़ इण्डिया टुडे ब्यूरो
रानीखेत। क्या धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के मामले में सरकार द्वारा कुमायूं के पर्यटन को बढ़ावा दिए जाने के विषय कोई कार्य हुआ है ? आखिर क्या कारण है, ‘मूल बदरीनाथ गढ़वाल के अंश कुमाऊं में भी मौजूद हैं जो रानीखेत तहसील से लगभग 25 किमी दूर कुंवाली गांव में कत्यूरकालीन आदि बदरीनाथ के मंदिर के रूप में विराजमान हैं उपेक्षित क्यों हैं ? इस मंदिर की स्थापत्य कला मूल बद्रीनाथ से मेल खाती है. यहां क्षीर सागर में विश्राम करते भगवान विष्णु, लंबोदर गणेश,नरसिंह और वराह के साथ ही मानवमुखी गरुड़ आदि मूर्तियां हैं. यहां मौजूद सभी मूर्तियां कुमाऊं में नवीं सदी की समृद्ध मूर्तिकला की मिसाल हैं. प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर मन्दिर निर्माण अवधि सन् 1048 शताब्दी ई. निर्धारित की गई है।
सरकार ने मंदिर माला मिशन में भी इस मंदिर को नहीं लिया है ! पूर्व में हमने लिखा था ‘ ऊँटेश्वर महादेव मंदिर जो 1,000 वर्ष प्राचीन है को शामिल नहीं किया गया ! कुमायूं में सरकार द्वारा घोषित दो धाम –जागेश्वर धाम एवं कल्यानिका डोल आश्रम – सरकार की मान्यता के इन्तजार में हैं l अब 8वीं सदी के हाट कलिका मंदिर व पातळ भुवनेश्वर गुफा मंदिर को मिला कर ‘चार धाम’ की मान्यता मिल जाने की श्रद्धालु वाट जोह रहे हैं l इसलिए कुमायूं के चार धाम मान्यता सोसियल मीडिया अभियान के संयोजक डी एन बड़ोला ने सरकार से अनुरोध किया है कुमायूं के लिए शरद कालीन सीजन में घोषित धामों सहित पौराणिक मंदिर की धार्मिक पर्यटन यात्रा घोषित की जानी चाहिए,जिससे की कुमायूं के धार्मिक पर्यटन कोई बढ़ावा मिल सके ।