
भाजपा द्वारा संगठन के जिलाध्यक्षों की घोषणा कर क्या वास्तविक सरकारी जिलों से मुहं मोड़ लिया है ? :- बडोला
रिपोर्टर, संदीप पाठक
रानीखेत। भारतीय जनता पार्टी द्वारा आज संगठन के जिलाध्यक्षों की घोषणा कर क्या वास्तविक सरकारी जिलों से मुहं मोड़ लिया है ? यह प्रश्न भाजपा घोषित चार जिलों की संयुक्त संघर्ष समिति के मुख्य संरक्षक डीएन बड़ोला ने इस संवाददाता के माध्यम से सरकार से इस प्रश्न का उत्तर माँगा है ! मुख्य मंत्री इस बीच बार-बार जिलों के निर्माण की बात करते रहे हैं और जब जिला विषयक समाचार आया तो पता चला कि खोदा पहाड़… वाली कहावत चरितार्थ हो रही है ! लोगों ने देखा कि संगठन के जिले घोषित किये गए है ! क्या भाजपा जिलों के निर्माण के मामले में दिशा हीन है l ज्ञान्तव्य हो कई साल पहले संगठन के कई जिले थे जिन्हें अजय भट्ट जी के विधायकी के समय अमित शाह ने निरस्त कर दिए था और अब फिर से संगठन के जिले बनाये गए है और बाकायदा आज जिलाध्यक्षों की नियुक्ति भी कर दी गई है l इसका औचित्य क्या है ?
इधर जिलों की बात करते करते मुख्य मंत्री वित्त की भी बात करते हैं ! बड़ोला ने कहा है कि एक जिले में एक सौ करोड़ भी खर्च होगा तो क्या यह पहले ही साल में खर्च हो जाएगा ? जिलों की अधिसूचना जरी होने के बाद पहले दो साल में कोई खास खर्च नहीं होगा, क्योंकि भवन किराए में लेने होंगे ! जब 3-4 निर्माण कार्य प्रारंभ होगा तब ही वित्त की आवश्यकता होगी l यह सरकार की जुमला बाज वाली छबि को ही चमका रही है ! यह हिमांचल प्रदेश में भी भाजपा को नुक्सान पहुंचा सकती है, अतः तुरंत ही जिलों के निर्माण की घोषणा करनी चाहिए !