केरल में फैल रहे बर्ड फ्लू के दृष्टिगत प्रशासन सतर्क, बैठक कर अधिकारियों को जारी किए निर्देश

केरल में फैल रहे बर्ड फ्लू के दृष्टिगत प्रशासन सतर्क, बैठक कर अधिकारियों को जारी किए निर्देश

रिपोर्ट, न्यूज़ इण्डिया टुडे ब्यूरो
बिजनौर।  केरल में फैल रही एवियन इन्फ्लूएन्जा (बर्ड फ्लू) को दृष्टिगत रखते हुए आज प्रातः 11ः00 बजे जिलाधिकारी, बिजनौर के निर्देश पर मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में शासन स्तर से गठित जनपद स्तरीय टास्क फोर्स की जूम मीटिंग आहूत की गयी। मुख्य विकास अधिकारी पूर्ण बोरा ने जागरूकता अभियान चलाने के लिए कहा तथा पोल्ट्री फॉर्म स्वामियों व मीट विक्रेताओं का संवेदीकरण करने तथा उन्हें जानकारी व बचाव के उपाय बताने के लिए कहा। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने बताया कि अभी जनपद बिजनौर सहित उ0प्र0 में कोई प्रकरण सामने नही आया है।

मुख्य विकास अधिकारी पूर्ण बोरा ने ग्राम प्रधानों के संवेदीकरण के लिए एक जूम मीटिंग आयोजित करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि इसके नियन्त्रण के लिए इन्फेक्टिव व सर्विलान्स जोन यथा समय बनाये जायें तथा रैपीड रिस्पांस टीम (आरआरटी) का भी गठन ब्लॉक स्तर पर किया जाये। उन्हांेने कहा कि साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाये।

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा0 विजेन्द्र सिंह द्वारा अवगत कराया गया कि बर्ड फ्लू एक विषाणु जन्य रोग है, जो हाईलो पैथोजनिक एवियन इन्फ्लूएन्जा वाएरस एचपीएआई (एच5एन1) से फैलती है। यह एक जुनोटिक बीमारी है जो पक्षियों से पक्षियों में एवं पक्षियों से मनुष्यों में फैल सकती है।

उन्होंने बताया कि यह बीमारी घरेलू पक्षियों जैसे-मुर्गी, टर्की, बटेर आदि एवं जंगली व प्रवासी पक्षियों को भी प्रभावित करती है तथा वाटर फाउल उक्त बीमारी के कैरियर के रूप में बिना प्रभावित हुए कार्य करती है। यह पक्षियों का एक गम्भीर रोग है जो पक्षियों को शत प्रतिशत प्रभावित कर सकता है। उन्होंने बताया कि अभी जनपद बिजनौर सहित उ0प्र0 में कोई प्रकरण सामने नही आया है।

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा0 विजेन्द्र सिंह द्वारा अवगत कराया गया कि वर्तमान में लिए जा रहे रूटीन सैम्पल को आईवीआरआई, इज्जत नगर, बरेली में टेस्टिंग के लिए भेजा जा रहा है तथा प्रकरण सामने आने पर हाई सिक्योरिटी एनीमल डिजीज लैब भोपाल में टेस्टिंग के लिए भेजा जायेगा। उन्होंने बताया कि पंचायती राज विभाग, ग्राम्य विकास विभाग, पशु पालन विभाग व राजस्व आदि विभागों के समन्वय से यह जानकारी ली जा रही की कहीं कोई प्रकरण तो नहीं है।

उन्होंने बताया कि पोल्ट्री में इस बीमारी के मुख्य लक्षणों में मुर्गी की आंख व नांक से अत्याधिक स्त्राव होना, मुर्गी की कलगी नीली पड़ जाना, मुर्गी के पंजों का नीला पड़ जाना, मुर्गी के चेहरे व गर्दन पर सूजन होना, मुर्गी का एक ही स्थान पर बैठे रहना है। उन्होंने बताया कि बीमारी के नियन्त्रण के लिए पशु पालन विभाग, स्वास्थय विभाग, वन विभाग, पंचायतीराज विभाग, राजस्व विभाग, गृह विभाग, लोक निर्माण विभाग, भूमि व भूमि सुधार विभाग व नगर निकाय के कार्य निर्धारित किए गए है।

उन्होंने बताया कि सभी विकास खण्डों में पंचायत विभाग की सहायता से पोल्ट्री की गणना एवं घनत्व के अनुसार क्षेत्रों के आंकलन का कार्य किया जा रहा है। प्रवासी पक्षियों के सैम्पल वन विभाग की सहायता से सैम्पल एकत्र किया जा रहा है। अप्रत्याशित रूप से हुए पक्षियों की मृत्यु की तत्काल सूचना निदेशक पशुपालन विभाग को प्रेषित की जाएगी। उन्होंने बताया कि ब्लॉक स्तर पर रैपीड रिस्पांस टीम (आरआरटी) का गठन कर लिया गया है।

उन्होंने बताया कि कन्टेन्मेंट जोन में डिसइन्फैक्शन कार्य एवं जनजागरूकता अभियान कार्य चलाया जाएगा। ग्रामीणों को जागरूकता व रोग की पहचान से अवगत कराया जाएगा तथा सभी ग्रामों में साफ-सफाई सुनिश्चित कराई जाएगी। शहरों की मीट की दुकानों का चिन्हिकरण एवं साफ-सफाई एवं सर्विलान्स आदि का कार्य किया जाएगा।

इस अवसर पर मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 विजय कुमार गोयल सहित अन्य संबंधित विभागीय अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।

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