रमजान मुबारक में मगफिरत का दूसरा अशरा शुरू, शहर इमाम शेरकोट

रमजान मुबारक में मगफिरत का दूसरा अशरा शुरू, शहर इमाम शेरकोट

 

 

शमीम अहमद

शेरकोट! अल्लाह की तरफ से अपने बंदों के लिए बरकतों वाले मुकद्दस महीने रमजान के तोहफे का पहला अशरा ए रहमत देखते-देखते खत्म हो चुका है! अब बाकी बचे हुए 20 दिनों की हम सबको पूरी कद्र कर लेनी चाहिए! शहर इमाम शेरकोट मुफ्ती मोहम्मद जकी एजाज खान कासमी देवबंदी ने माहे मुबारक के दूसरे जुमे को मस्जिद में नमाज अदा करने आए पहले ईमान से खीताब किया! उन्होंने कहा कि रमजान की खास इबादत रोजा है! और रोजे का मकसद दिल के अंदर तकवा पैदा करना है! जिस दिल के अंदर गुनाहों की हवस और दुनिया की मोहब्बत रहेगी तो उस पर रमजान का कोई असर नहीं होगा! जब रोजेदार अल्लाह की मोहब्बत और नबी की फर्माबरदारी मैं वह काम छोड़ देता है जो बाकी दिनों में जायज है! जैसे खाना, पीना, वगैरा तो उसको वह काम तो हर हाल में छोड़ ही देना पड़ेगा! जो बाकी के दिनों में भी हराम है जैसे आंख, नाक, जबान, हाथ और पैर का गलत इस्तेमाल! एक हदीस का हवाला देते हुए मुफ्ती साहब ने बतलाया कि हुजूर सल्लल्लाहो वालेवसल्लम ने फरमाया जो आदमी झूठ बोलना और गलत काम करना ना छोड़े तो अल्लाह को उसके भूखा प्यासा रहने की कोई जरूरत नहीं है! रमजान सब्र और हमदर्दी का महीना है! इसीलिए इसमें हर तरह की नेकिया ज्यादा से ज्यादा करनी चाहिए! सदका ए फ़ित्र के बारे में शहर काजी जनाब मुफ्ती साहब ने बतलाया कि इस साल गेहूं के हिसाब से एक आदमी का फितरा 45 रू रहेगा लेकिन जिनको अल्लाह ने गुंजाइश दी है उन्हें चाहिए कि वह 3 किलो 266 ग्राम पनीर छुवारा, खजुर, किशमिश के जरिए अपना फितरा अदा करें और जो आदमी जहां हो वो उसी जगह की कीमत का हिसाब लगाकर अदा करें! बयान के दौरान मुफ्ती साहब ने फरमाया कि रमजान का महीना खुद को काबू में रखने की ट्रेनिंग देता है! जिससे इंसान अल्लाह का महबूब बन जाता है! अगर रमजान का एक महीना सही अंदाज पर गुजार लिया जाए तो साल भर के दूसरे 11 महीने भी अच्छै और सच्चाई के साथ गुजारते हैं! आखिर में अपने मुल्क हिंदुस्तान और पूरी दुनिया खास तौर पर फिलिस्तीन के मुसलमान के लिए दुआ कराई गई!

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