सूख गये तालाब, पशु पक्षियों को पानी की किल्लत
– नाम अमृत सरोवर, मौके पर पानी ही नहीं
– प्रधानों को नहीं मिला तालाबों में पानी भराने का आदेश
गौंडा से ब्यूरो रिपोर्ट
गोंडा। विकट गर्मी से तालाब सूख गये, नहरों में पानी नहीं आया, कुएं पट गये। पानी के स्रोतों का हाल बुरा है पानी के स्रोत खुद प्यासे हैंऔर सरकारी मशीनरी कुछ करने में सक्षम नहीं दिख रही है, इससे लाखों पशु पक्षियों लाखों पशु पक्षियों जानवरों की जान पर बन आयी है, पानी न मिलने से झंझरी ब्लाक के पूरे उदई गांव में तालाब में एक साड मर गया। यह अमृत सरोवर सूखा पडा है, तलहटी में जलकुंभी जमा है।
पूर्व में जंगली जानवर हिरन , नीलगाय, सियार, बंदर, खरगोष खेतों में पानी के लिए भटकते थे लेकिन इनके साथ जिले मे 25 हजार छुट्टा जानवर भी जंगली जानवरों की भांति पानी के लिए इधर -उधर भटक रहे हैं। नतीजा ऐसे जानवरों के लिए गांवों मे पानी की व्यवस्था नहीं की गयी। मई माह में नहर मे पानी आने से हालात सुधरे लेकिन जून माह सूखा चला गया, इससे जो पानी आया वह उड गया। अब पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची है और बीडीओ डीएम के आदेश का इंतजार कर रहे हैं कि साहब कहे तो प्रधान से तालाब भरवाया जाए। राजकीय नलकूप कई जगह खराब है जिससे वहां भी पानी की दिक्कत है। रविवार को पूरे उदई में अमृत सरोवर मंें पानी के लिए गया साड वहीं मर गया, जिसे गांव के लोगो ंने तालाब में दफना दिया। कई तालाबों में मछलिया मर रही हैं।कमल के फूल खराब हो रहे हैं। जिले में आठ सौ पुराने अमृत सरोववर हैं, चार सौ नये बन रहे है और एक हजार से ज्यादा पुराने तालाब बने हैं लेकिन इनमें पानी नहीं है।
मनरेगा में गर्मी में बढा काम
गोंडा, तालाब खोदायी का कार्य मनरेगा में बढ रहा है और अधिकारी बरसात न होने का फायदा उठाकर ताबाद बनवाने में जुट गये है लेकिन तालाबों मे पानी न भरने से गांव के लोग नाराज है। गांव के राम कुमार का कहना है कि तालाब भरने के लिए बजट दिया जाए जिससे सभी को पानी पीने का मिल सके।