उर्दू मोहब्बत , मिठास और तहजीब की जबान है : मास्टर शहजाद

उर्दू मोहब्बत , मिठास और तहजीब की जबान है : मास्टर शहजाद

रिपोर्ट,  विशेष संवाददाता डॉ कासिम मलिक
बिजनौर धामपुर। मै अल्लामा इक़बाल के जन्म दिवस को उर्दू शिक्षक संघ और बज़्मे क़मर की जानिब से संयुक्त रूप से मनाया गया प्रोग्राम की शानदार शुरुआत क़ारी नौशाद आलम शाद की नाते पाक से हुई इस मौक़े पर अपने ख़्यालात का इज़हार करते हुए उर्दू शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष मास्टर फ़रीदुर्रहमान ने कहा कि अल्लामा इक़बाल ना सिर्फ़ एक अज़ीम शायर अदीब और लेखक थे बल्कि मुल्क की आज़ादी में भी उनका अहम भूमिका और किरदार रहा है मास्टर फ़रीदुर्रहमान ने कहा कि अल्लामा इक़बाल को सच्ची और उम्दा ख़िराजे अक़ीदत यही हो सकती है कि देशभक्ति भाईचारे और प्रेम का जो उनका संदेश है उसे आम किया जाये और देश में भाईचारा और प्यार क़ायम किया जाये l
इस मौक़े पर बोलते हुए मास्टर शहज़ाद अहमद ने कहा कि बुनियादी तौर पर हमें अपने बच्चों को उर्दू की शिक्षा का भी इंतज़ाम करना चाहिए क्योंकि उर्दू मौहबबत और तहज़ीब की ज़बान है लिहाज़ा हमें अपने बच्चों को उर्दू की तालीम लाज़िमी तौर पर देनी चाहिए बज़्मे क़मर के जनरल सेक्रेटरी क़ारी नौशाद आलम शाद ने अल्लामा इक़बाल को ख़िराजे अक़ीदत पेश करते हुए कहा कि वो अपने आप में एक मुकम्मल शख्सियत थे और उनकी शायरी को अगर सोच समझकर पढ़ा जाये तो इंसान की ज़िंदगी सुधर और संवर सकती है क़ारी नौशाद आलम शाद ने कहा कि भारत की जो अज़ीम शख़सियात हैं उनका जन्म दिवस किसी ना किसी रूप में मनाया जाये ताकि उनके और हमारे बीच में एक संबंध और रिश्ता क़ायम रहे क़ारी नौशाद आलम शाद ने कहा कि जो क़ौम अपने पुरखों को फ़रामोश और भुला देती उनका इतिहास या तो ख़त्म हो जाता है या कमज़ोर हो जाता है और आने वाली नस्लें अपने इतिहास से कट कर रह जाती हैं इस अवसर पर शमीम फल वाले मक़सूद अहमद क़ारी राशिद हमीदी सैयद अरशद अली ने भी अपने ख़्यालात का इज़हार किया प्रोग्राम की निज़ामत इरशाद धामपुरी और सदारत हाजी अब्दुल बारी ने की l

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