अल्ट्रासाउण्ड मशीन की अनुमति प्राप्त करने से पूर्व आवश्यक कार्यवाही करना सुनिश्चिित, डीएम
रिपोर्ट, न्यूज़ इण्डिया टुडे
बिजनौर। जिलाधिकारी उमेश मिश्रा ने प्राईवेट स्वास्थ्य केन्द्रों में नई अल्ट्रासाउण्ड मशीन की अनुमति प्राप्त करने के सम्बन्ध में निर्देश दिए कि अनुमति से पूर्व पुरानी मशीन का डिस्पोजल और एक्सपर्ट का ओपनीयन, डाक्टर का निरीक्षण सहित चैकलिस्ट के आधार पर सभी आवश्यक कार्यवाही पहले ही करना सुनिश्चिित करें तभी नई मशीन लगाने की अनुमति दिये जाने की कार्यवाही की जाय। उन्होंने नोडल अधिकारी पीसीपीएनडीटी को निर्देशित किया कि नर्सिंग होम आदि की जांच के लिए संबंधित उपजिला मजिस्ट्रेट को साथ लेना भी सुनिश्चिित करें। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि जिले में कन्या भूर्ण चिन्हिकरण का कार्य नहीं होने दिया जाएगा और जिस किसी को भी अल्ट्रासाउंड सैन्टर पर इस प्रकार की कोई शिकायत प्राप्त होती है और निरीक्षण के बाद सही पायी जाती है तो केन्द्र को बन्द करा कर उसके संचालक के विरूद्व कड़ी कानूनी कार्यवाही अमल में लायी जाएगी।
जिलाधिकारी श्री मिश्रा आज प्रातः 10ः00 बजे अपने कैम्प कार्यालय में आयोजित पीसीपीएनडीटी से संबंधित समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए निर्देश रहे थे।
उन्होंने नोडल अधिकारी पीसीपीएनडीटी को निर्देश दिये कि अल्ट्रासाउण्ड मशीन ऑपरेटिंग के लिए आवेदन पत्र में जिस व्यक्ति का नाम अंकित किया गया है, उसके अभिलेखों की जांच कर सुनिश्चित कर लें कि वह व्यक्ति पात्र है, यदि अल्ट्रासाउण्ड संचालक के अभिलेख आदि संदिग्ध पाए जाते हैं तो किसी भी सूरत में उसका अनुमोदन नहीं किया जाए। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि सप्ताह में कम से कम तीन अल्ट्रासाउंड सैन्टर्स का निरीक्षण करना सुनिश्चित करें और नए अल्ट्रासाउंड केन्द्र एवं नवीनीकरण की अनुमति तभी दी जाए, जब संबंधित अल्ट्रासाउंड केन्द्रों मंे सभी औपचारिकताएं पूरी पाई जाएं।
उन्होंने कहा कि हमारे देश और जिले में लिंग अनुपात में भारी अन्तर का होना एक गम्भीर एवं चिंताजनक समस्या है। उन्होंने कहा कि इस समस्या का समाधान केवल बैठकों से ही सम्भव नहीं है, बल्कि जन सामान्य को लिंग अनुपात के संकट के प्रति जागरूक करना आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। उन्होनंे निर्देश दिए कि जिले में अल्ट्रासाउंड सेन्टर्स और नीवनीकरण होने वाले मामलों में पूरी छानबीन करने के बाद ही उन्हें अनुमति प्रदान की जाए और हर सेन्टर पर कन्या भूर्ण हत्या से संबंधित कानूनी जानकारी पर आधारित स्पष्ट शब्दों में बोर्ड अथवा दीवार पर आईसी मेटीरियल लिखवाना और अल्ट्रासाउंड कक्ष में सीसीटीवी कैमरांें की स्थापना को अनिवार्य किया जाए, उसके बाद ही अल्ट्रासाउंड केन्द्रों के नवीनीकरण आदि की अनुमति दी जाए। उन्हेांने कड़े निर्देश दिये कि कन्या भूर्ण चिन्हिकरण करने वाले किसी भी सेन्टर एवं संचालक पर सख्त कानूनी कार्यवाही अमल में लायें चाहे वह व्यक्ति कितना ही प्रभावशाली या बलशाली हो, तभी इस कानून का औचित्य सिद्व हो सकता है।
इस अवसर पर नोडल अधिकारी पीसीपीएनडीटी डा0 देवीदास, डा0 प्रभा रानी मुख्य चिकित्साधीक्षिका, श्रीमति सुधा राठी, मुकेश त्यागी डीजीसी सहित समिति के अन्य सदस्य मौजूद थे।