पिरान कलियर और आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों में इबादत के साथ मनी शब-ए-बरात, मुसलमानों ने नमाज व तिलावत-ए-कुरआन में बिताई रात”

पिरान कलियर और आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों में इबादत के साथ मनी शब-ए-बरात, मुसलमानों ने नमाज व तिलावत-ए-कुरआन में बिताई रात”

 

 

ब्यूरो रिपोर्ट

पिरान कलियर! पिरान कलियर और आस_पास के क्षेत्र की मस्जिदों और घरों में लोगों ने रात भर अल्लाह की इबादत की,कुरआन की तिलावत की,घरों में तरह तरह के हलवा बनाए गए, लोगों ने कब्रिस्तान में पहुंचकर अपने बुजर्गो के लिए दुआ की गुनाहों के लिए माफी मांगी, मुस्लिम समाज के लोगो ने नजदीक के कब्रिस्तान में पहुंचकर दुआए मगफरत की, रविवार की शाम मगरिब की नमाज के बाद मुसलमानों ने इबादत शुरू की, इसकी तैयारी में लोग सुबह से ही जुटे थे, शब-ए-बरात की रात शहर भर की मस्जिदों के अलावा कब्रिस्तानाें व घरों मे प्रकाश व सफाई की बेहतर व्यवस्था की गई! मुसलमानों ने मस्जिदों और घरों में नफिल नमाजें अदा की, तिलावते कुरआन पाक और सुरियाशीन की.लोगो ने अपने गुनाहों से तौबा करते हुए अल्लाह से माफी मांगी.आने वाले समय में नेक काम करने, परहेजगार बनने, अल्लाह व उसके रसूल के बताए रास्ते पर चलने की अल्लाह से दुआए मांगी! पुरूष-महिलाओ ने एक दिन का नवाफिल रोजा रखा.रात भर मुसलमान मस्जिदों और घरों में इबादत करते नजर आए, कुरआन-पाक की तिलावत में मशगूल रहे.लोगों ने नमाज अदा कर गुनाहों के लिए माफी मांगी, अल्लाह पाक हमे नेक रास्ते पर चलाने की तौफिक अता फरमाए.लोग अपने पूर्वजों की कब्र पर दुआएं मांग रहे थे, अल्लाह से अपने हमारे बुजर्गों को और हमे जन्न्त नसीब फरमाए, समाजसेवी जीशान मलिक ने बताया कि शब-ए-बरात एक अरबी शब्द है,, जिसका अर्थ होता है गुनाहों से छुटकारे की रात.यह पर्व अरबी महीना शाबान की 14 का दिन गुजार के 15 वीं की रात में मनाया जाता है! करी अकबर अली ने बताया कि इस रात बंदों को खूब इबादत करनी चाहिए.और अगले दिन रोजा रखना चाहिए, अपने बुजर्गो के लिए कब्रों पर जाकर और घरों में फातेहा पढ़कर सवाब पहुंचाना चाहिए, और कहा की इस रात हमे आतिशबाजी से दूर रहना चाहिए आतिशबाजी नही करनी चाहिए।”

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