शीशमहल के बंधे पर जल्द ही पक्षी विहार करेंगे पर्यटक

शीशमहल के बंधे पर जल्द ही पक्षी विहार करेंगे पर्यटक

 

 

ब्यूरो रिपोर्ट

बिजनौर। अब प्रवासी पक्षियों को निहारने के लिए गंगा बैराज पुल पार कर हैदरपुर वेटलैंड जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बिजनौर के लोग शीशमहल के पीछे बंधे और गंगा दोनों को निहार सकेंगे। साथ ही यहां पर आने वाले प्रवासी पक्षियों की तस्वीरें भी कैमरे में कैद कर पाएंगे। वन विभाग इस एक किलोमीटर बंधे को पर्यटकों के लिए खोलने के लिए प्रस्ताव तैयार कर रहा है। इसके साथ ही रावली बंधे पर भी पक्षी देखने के लिए काम कराया जाएगा। बिजनौर बैराज पर गंगा के उस पार मुजफ्फरनगर की सीमा में हैदरपुर वेटलैंड है। इसे दो साल पहले रामसर साइट का दर्जा भी मिल चुका है। इस समय यहां पर 20 हजार से ज्यादा प्रवासी पक्षी आए हुए हैं, जो बिजनौर की ओर शीशमहल के पीछे बने बंधे से आसानी से देखे जा सकते हैं। अभी तक बिजनौर सीमा वाले गंगा किनारे को उस लिहाज से विकसित नहीं किया गया है। इस ओर बनी झील में पर्यटकों के लिए कुछ नहीं है। लोग जाते हैं तो तटबंध वाली सड़क से ही दीदार कर लौट आते हैं! लेकिन अब हैदरपुर वेटलैंड की तर्ज पर इस किनारे को भी विकसित किया जाएगा। इसमें व्यू प्वाइंट बनाने के साथ साथ बारिश से बचने के इंतजाम किए जाएंगे। रामसर साइट घोषित होने के बाद हैदरपुर वेटलैंड दायरा बढ़कर बिजनौर की सीमा तक आ पहुंचा है। शीशमहल के पीछे सड़क से होते हुए इस बंधे तक जाने के लिए वन विभाग और सिंचाई विभाग मिलकर प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं। ऐसा हुआ तो अगले सीजन से यहां पर भी पर्यटकों की भीड़ नजर आएगी। हर साल आते हैं 200 से ज्यादा प्रजाति के पक्षी बिजनौर गंगा बैराज के दोनों ओर हर साल 300 से ज्यादा प्रजाति के करीब 20 हजार पक्षी पहुंचते हैं। गंगा के उस पार हैदरपुर वेटलैंड पर पक्षी निहारने के लिए पक्षी प्रेमी पहुंचते हैं। बिजनौर की ओर गंगा के तटबंध से भी इन पक्षियों को देखा जा सकता है। जब झील का पानी कम होता है, तब पक्षियों की संख्या भी यहां बढ़ जाती है। संकटग्रस्त प्रजातियों का यहां हो रहा संरक्षण हैदरपुर वेटलैंड पर 15 से अधिक ऐसी प्रजातियां मौजूद हैं, जिन्में विश्व स्तर पर संकटग्रस्त घोषित किया हुआ है। जैसे घड़ियाल, गेवियलिस गैंगेटिकस, और लुप्तप्राय हॉग हिरण, एक्सिस पोर्सिनस, ब्लैक-बेलिड टर्न, स्टर्ना एक्यूटिकौडा, स्टेपी ईगल एक्विला निपलेंसिस, भारतीय स्किमर रिनचोप्स एल्बीकोलिस, और गोल्ड महासीर टोर पुतिटोरा, जल्द तैयार होगा प्रस्ताव, घूमने लायक बनेगा बंधा एसडीओ ज्ञान सिंह ने बताया कि शीघ्र प्रस्ताव तैयार होगा। हमारे पास एक किलोमीटर लंबा शीश महल के पीछे ट्रैक है। इसके अलावा रावली बंधे पर करीब सात किलोमीटर लंबा ट्रैक है। यह बहुत बेहतर पक्षी विहार साबित होगा।

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