
चंडिका प्राचीन शिवमंदिर व मंदिर में शिवलिंग रूद्राक्ष का वृक्ष आकर्षक केंद्र
शिवरात्रि पर्व पर क्षेत्र के दर्जनों गांव के शिवभक्त कावंड़ लाकर मंदिर में शिवलिंग पर जलाभिषेक कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं
रिपोर्ट, अगम जैन
अफजलगढ । क्षेत्र के गांव अनवरपुर चंडिका में स्थित प्राचीन शिव मंदिर में भूतल शिवलिंग होने के कारण आस्था का प्रतीक बना है।यहां शिवरात्रि पर्व पर क्षेत्र के दर्जनों गांव के शिवभक्त कावंड़ लाकर मंदिर में शिवलिंग पर जलाभिषेक कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।यह मंदिर नगर से करीब दस किमी दूर स्थित है।
गांव अनवरपुर चण्डिका में नहर किनारे चन्द्रपाल सिंह का खेत है।1992 में वह खेत में हल से जुताई कर रहे थे। अचानक एक स्थान पर हल अटक गया।काफी प्रयास के बाद हल के आगे न बढ़ने उत्सुकता वश जब उन्होंने वहां ग्रामीणों की मदद से खुदाई की तो एक बहुत प्राचीन शिवलिंग दिखाई दिया। करीब 11 फीट तक खुदाई किये जाने के बाद भी शिवलिंग का छोर हाथ न आया ।तब बुजुर्गों ने पुराणों का हवाला देते हुए वहां शिवमंदिर स्थापित कराने की बात कही।शिव आस्था के चलते ग्रामीणों के सहयोग से मंदिर का निर्माण किया गया था। मंदिर में अभी भी शिवलिंग 3 फीट ऊंचा तथा करीब ढाई फिट की गोलाई में स्थित है। जो कि आस्था के साथ साथ आकर्षण का केंद्र है। तब चंद्रपाल सिंह चौहान ने अपनी उस एक बीघा भूमि को मंदिर के नाम दान कर दिया था। शिवलिंग निकलने की खबर दूर दूर तक आग की तरह फैल गई थी। जिसे सुन कर उस समय आसपास सहित क्षेत्रो सहित मुज्जफरनगर, मेरठ , बिजनोर आदि अनेक स्थानो से आकर श्रद्धालुओं ने शिवलिंग के दर्शन किए। हरगोविंद सिंह ने बताया कि मान्यता है कि जो भी यहां सच्चे मन से मन्नत मांगता है उनकी मन्नते पुरी होती है।
प्रतिवर्ष शिवरात्रि पर्व पर यहां सैकड़ों कांवड़ चढ़ती हैं।ओर श्रद्धालु शिवलिंग पर बेलपत्र व दूध मिसरी चढ़ाकर पूजा ओर अन्य अवसरों पर वर्ष भर यहां धार्मिक आयोजन किए जाते हैं।
मंदिर की सेवा पुजारी जयराम महाराज करते हैं।वही नित प्रतिदिन सुबह शाम पूजा आरती सम्पन्न कराते है।मंदिर परिसर में ही एक रूद्राश का पेड़ भी खड़ा हुआ है जो शिव का प्रतीक माना जाता है।पेड़ पर समय समय पर रूद्राश का फल आता रहता है।