रूस का तेल भारत के लिए बना वरदान: रिकॉर्ड लेवल पर पहुंचा रूस से तेल का आयात, भारत ने हर दिन मंगाया 1 मिलियन बैरल कच्चा तेल, महंगाई कम करने में ऐसे बना रामबाण

रूस का तेल भारत के लिए बना वरदान: रिकॉर्ड लेवल पर पहुंचा रूस से तेल का आयात, भारत ने हर दिन मंगाया 1 मिलियन बैरल कच्चा तेल, महंगाई कम करने में ऐसे बना रामबाण

रिपोर्ट, न्यूज़ इण्डिया टुडे ब्यूरो

दिल्ली । रूस से भारत को सस्ता क्रूड ऑयल मिल रहा है। सस्ता कच्चा तेल मिलने के कारण पेट्रोल-डीजल की कीमत लंबे वक्त से स्थिर बनी हुई है। कच्चे तेल में स्थिरता के बीच भारत का पेट्रोलियम एक्सपोर्ट भी बढ़ रहा है। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से क्रूड ऑयल इंपोर्ट करते हैं. जब-जब इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल के दाम बढ़ते हैं तो भारत का इंपोर्ट बिल बढ़ जाता है और देश में पेट्रोल और डीजल के दाम साथ कई सामानों के दाम बढ़ जाते हैं. भारत ने दिसंबर में पहली बार रूस से 10 लाख बैरल प्रतिदिन कच्चे तेल का आयात किया था। रूस ने अकेले दिसंबर में भारत को 1.19 मिलियन BPD कच्चे तेल की आपूर्ति की है। साल 2022 में जिस तरह से सस्ता रूसी तेल खरीदा गया है, उसने महंगाई को कम करने में काफी अहम योगदान दिया है। वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के बावजूद अन्य देशों की तुलना में भारत में पेट्रोल की कीमतें सबसे कम है। नीदरलैंड भारत का तीसरा सबसे बड़ा पेट्रोलियम प्रोडक्ट आयातक देश है। साल 2021 के मुकाबले इस साल भारत ने नीदरलैंड को 10.4 बिलियन डॉलर का पेट्रोलियम प्रोडक्ट एक्सपोर्ट किया है। वहीं साल 2021 में ये आंकड़ा 5.7 बिलियन डॉलर का था। ब्राजील को 6.3 बिलियन डॉलर का, इंडोनेशिया को 6 बिलियन डॉलर, साउथ अफ्रीका को 5.5 बिलियन डॉलर, फ्रांस को 4.4 बिलियन डॉलर, इजराइल को 4 बिलियन डॉलर, नाइजीरिया को 3.4 बिलियन डॉलर, तंजानिया को 2.4 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट किया है।रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच भारत का पेट्रोल एक्सपोर्ट बढ़ा है। अप्रैल से अक्टूबर के बीच भारत का कुल एक्सपोर्ट 12.5 फीसदी बढ़कर 263 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। जबकि तेल का एक्सपोर्ट 70 फीसदी तक बढ़ा है। सबसे ज्यादा ऑयल एक्सपोर्ट नीदरलैंड, ब्राजील, तंजानिया, टोगो, इजराइल और ओमान के साथ बढ़ा है। जब कई देश रूस पर अपनी निर्भरता को कम कर रहे हैं भारत और रूस के बीच कच्चे तेलों का कारोबार बढ़ा है। भारत अपनी जरूरत को 80 फीसदी तेल आयात करता है, जिसमें रूस की हिस्सेदारी अहम है। यूरोपीय संघ द्वारा रूस पर 60 डॉलर प्रति बैरक का प्राइस कैप लगाए जाने के बाद से भारत रूस से जमकर तेल की खरीदारी कर रहा है। ओपेक देशों के ब्रेंट क्रूड ऑयल के मुकाबले रूसी ऑयल भारत को 50 फीसदी सस्ता पड़ रहा है. मौजूदा समय में ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 84.86 डॉलर प्रति बैरल पर पर हैं. जबकि रूसी ऑयल अमेरिका और यूरोप की ​ओर से लगाए प्राइस कैप से 15 से 20 डॉलर सस्ता मिल रहा है. भारत ने दिसंबर में इराक से 803,228 बीपीडी और सऊदी अरब से 718,357 बीपीडी तेल का आयात किया. संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने दिसंबर 2022 में 323,811 बीपीडी तेल बेचकर भारत का चौथा सबसे बड़ा सप्लायर बनने के लिए अमेरिका को पीछे छोड़ दिया. महंगाई को कम करने में रूसी तेल का बड़ा हाथ रहा है. इसकी वजह से क्रूड ऑयल रिजर्व को तैयार करने और देश के फॉरेक्स रिजर्व को मेंटेन रखने में काफी मदद मिली है. इसलिए जो फॉरेक्स रिजर्व तेजी से गिर रहा था उसमें गिरावट देखने को मिली है.

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