आठ दिसम्बर को धूमधाम से मनाया जायेगा श्री लक्ष्मी देवी माता मंदिर का स्थापना दिवस
नहटौर संवाददाता
नहटौर। अम्हेड़ा-चांदपुर रोड पर जिला मुख्यालय से लगभग 25 किमी. दूर ग्राम मोहनपुर स्थित महालक्ष्मी देवी का मंदिर मनोकामना पूर्ण सिद्धपीठ स्थल है। मंदिर की ऐसी मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगने पर देवी मां भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण करती है। मनोकामना पूर्ण हो जाने पर श्रद्धालुओं द्वारा प्रत्येक शुक्रवार को वहां भण्डारे का आयोजन किया जाता है। मंदिर में मां लक्ष्मी भगवान श्री गणेश के साथ विद्यामान हैं। यह संभवतः भारतवर्ष का पहला लक्ष्मी-गणेश मंदिर है। आगामी 8 दिसम्बर दिन बृहस्पतिवार को मंदिर में 19 वां प्रकाटोत्सव अत्यन्त श्रद्धा व धूमधाम के साथ मनाया जायेगा। मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक होने के कारण इस दिन जनपद के साथ प्रदेश भर से बड़ी संख्या में साधु-सन्तों की टोलियां, जनप्रतिनिधि व गणमान्य व्यक्ति व भारी संख्या में यहां पहुंचते हैं। कार्यक्रम के अध्यक्ष व मंदिर के महन्त पीठाधीश्वर नरेन्द्र गिरि महाराज (राष्ट्रीय अध्यक्ष विश्व हिन्दू राष्ट्र सेना) के
अनुसार प्रातः 7 बजे हवन-पूजन व भण्डारे के भोग के पश्चात प्रातः 8 बजे से प्रभु की इच्छा तक मंदिर प्रांगण में भव्य भण्डारे का आयोजन किया जायेगा। रात्रि 8 बजे माता रानी का विशाल जागरण होगा, जिसमें देवी-देवताओं का आकर्षक दरबार सजाया जायेगा। बाहर से आने वाली जागरण पार्टी के कलाकारों द्वारा मां के गुणों का बखान सुन्दर भजनों द्वारा किया जायेगा। साथ ही सुन्दर झांकियां भी प्रस्तुत की जायेंगी। तरूणा देवी पत्नी जसवीर सिंह दिल्ली द्वारा मां की जोत प्रज्वलित की जायेगी। जागरण के समापन पर 9 दिसम्बर को प्रातः 7 बजे आरती के पश्चात श्रद्धालुओं में प्रसाद का वितरण किया जायेगा। स्वामी जी ने माता रानी के समस्त भक्तों का आह्वान किया है कि वे सभी सपरिवार उपस्थित होकर प्रसाद ग्रहण कर धर्मलाभ उठायें। भण्डारे में भोग लगाने के इच्छुक श्रद्धालु मंदिर में आकर अपना नाम अंकित करा सकते हैं। स्वामी जीने बताया कि साधु-सन्तों, जनप्रतिनिधियों व संगठन से जुड़े लोगों की
उपस्थिति में धार्मिक चर्चा भी की जायेगी।
मंदिर स्थापना के संबंध में महाराज बताते हैं कि लगभग 20 वर्षों पूर्व माता रानी की दिव्य जोत के दर्शन स्वयं उन्होंने व ग्रामवासियों ने साक्षात किये थे। तत्पश्चात उस स्थान की खुदाई करवाने पर लक्ष्मी- गणेश की प्रतिमाओं के साथ आठ सिक्के, चम्मच, दीपक व पंचमुखी शंख आदि पूजा के सामान की भी प्राप्ति हुई थी। 8 दिसम्बर 2005 में सभी भक्तों के सहयोग से माता रानी व गणेश जी का भव्य मंदिर बनकर तैयार हुआ था। लगभग 15 बीघे में पूर्णतः प्रदूषण रहित प्राकृतिक सौन्दर्य के मध्य बने मंदिर में प्रवेश करते हैं। भक्तों को अलौकिक शांति व माता रानी के दिव्य शक्ति का अहसास होता है और भक्तजन पवित्रता की भीनी सुगंध से सराबोर हो जाते हैं। स्वामी जी ने मंदिर में शिवालय के पीछे लगे नल के चमत्कारी जल के बारे में बताते हैं कि इसका जल कभी खराब नहीं होता। भक्तजनों ने जल का संचय बीस-बीस वर्षों तक अपने घरों में कर रखा है। इसके संबंध में मान्यता है कि इस जल को ग्रहण करने से कई रोग ठीक हो जाते हैं।